भारतीय वैज्ञानिक का कमाल, बनाई असली जैसी त्वचा

भारतीय वैज्ञानिक का कमाल, बनाई असली जैसी त्वचा

सांकेतिक फोटो

सेहतराग टीम

भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक और उनकी टीम ने 3डी प्रिंट से रक्त वाहिकाओं से लैस असली त्वचा बनाने का तरीका खोज निकाला है। प्राकृतिक त्वचा जैसी या प्रतिरूप त्वचा तैयार करना विज्ञान की दुनिया में सराहनीय और अहम कदम है।

दरअसल 3डी बायोप्रिंटिंग प्राकृतिक ऊतकों जैसी विशेषताओं वाली जैव चिकित्सा प्रतिकृति गढ़ने के लिए कोशिकाओं, वृद्धि कारकों और जैव सामग्री को आपस में जोड़ती है। अमेरिका में रेनेस्सेलाएर पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर पंकज करांदे ने कहा कि हाल फिलहाल क्लिनिकल उत्पाद के रूप में जो कुछ उपलब्ध है, वह एक फैन्सी बैंड-एड की तरह है। यह जख्मों को तेजी से ठीक करने जैसी पद्धति मुहैया कराता है लेकिन यह मेजबान कोशिकाओं के साथ कभी एकीकृत नहीं होता। इस खोज से संबंधित शोध के परिणाम ‘टिश्यू इंजीनियरिंग पार्ट ए’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि त्वचा प्रतिरूप में कार्यशील संवहनी प्रणाली की अनुपस्थिति एकीकरण में महत्वपूर्ण बाधा रही है। टीम ने पाया कि यदि रक्त वाहिकाओं के अंदर रहने वाली मनुष्य की एंडोथीलियल कोशिकाओं के इर्द-गिर्द रहने वाली पेरिसाइट कोशिकाओं समेत महत्वपूर्ण तत्वों को जानवरों के कोलेजन और त्वचा ग्राफ्ट के अंदर पाई जाने वाली संरचनात्मक कोशिकाओं के साथ जोड़ दिया जाए तो वे संदेश देना शुरू कर देती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, कुछ हफ्तों के अंदर ऐसी कोशिकाएं जैविक रूप से योग्य संवहनी संरचना बनाती हैं।

आग से झुलसे रोगियों के इलाज में साबित होगा मददगार-

करांदे ने कहा कि आग से झुलसे रोगियों से जुड़ी तंत्रिकाएं और वाहिकाएं खत्म हो जाने जैसी चुनौतियों के समाधान के लिए हम और अधिक कोशिश करेगें।   हालांकि उनकी टीम शोधकर्ताओं को मधुमेह या प्रेशर अल्सर जैसी बीमारी से पीड़ित लोगों की मदद करने के करीब लाया है।

चूहों पर किया गया परीक्षण-

अमेरिका के याले स्कूल ऑफ मेडिसिन की एक टीम ने जब संरचना को एक विशेष प्रकार के चूहों में लगाया तो 3डी प्रिंट वाली त्वचा की वाहिकाओं ने संदेश देना और चूहों की कोशिकाओं से जुड़ना शुरू कर दिया।

इसके इस्तेमाल के काफी करीब-

करादें ने कहा कि अभी हम इसके इस्तेमाल की स्तिथि में नहीं हैं, लेकिन हम उसके काफी करीब हैं। टीम ने पाया कि यदि रक्त वाहिकाओं के अंदर रहने वाली पेरिसाइट कोशिकाओं को जानवरों के कोलेजन और त्वचा ग्राफ्ट के अंदर पाई जाने वाली संरचनात्मक कोशिकाओं के साथ जोड़ दिया जाए तो वे संदेश देना शुरू कर देती हैं।

 

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